टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के नेतृत्व में अचानक परिवर्तन देश की सबसे बड़ी आईटी सेवा और परामर्श कंपनी की निरंतरता को प्रभावित नहीं करेगी। टीसीएस ने हमेशा उत्तराधिकार के लिए आंतरिक व्यवस्था को तरजीह दी है।
मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) राजेश गोपीनाथन ने छह वर्षों तक कंपनी का नेतृत्व किया और उन्हें चार और वर्षों तक ऐसा करना था लेकिन उन्होंने सितंबर 2023 से पद छोड़ने का फैसला किया।

उनका स्थान के कृतिवासन लेंगे जो पिछले 34 वर्षों से टीसीएस में हैं और इस समय बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा कारोबार के प्रमुख हैं। इन कारोबारों ने वित्त वर्ष 2022 में टीसीएस के 27 अरब डॉलर के राजस्व में 11 अरब डॉलर की हिस्सेदारी की।
टीसीएस में करीब 6.13 लाख कर्मचारी हैं और देश के आईटी क्षेत्र के समेकित राजस्व में इसकी हिस्सेदारी 27 फीसदी से अधिक है। इस क्षेत्र के शुद्ध लाभ में इसकी हिस्सेदारी 34 फीसदी है। अगले वित्त वर्ष में मामूली वृद्धि के निवेशकों के अनुमान बरकरार रहेंगे।
टीसीएस इकलौती ऐसी बड़ी आईटी कंपनी नहीं है जो 2024 में शीर्ष पद पर बदलाव से गुजरेगी। इन्फोसिस के प्रेसिडेंट मोहित जोशी भी टेक महिंद्रा के सीईओ का पद संभालने जा रहे हैं। वह सी पी गुरनानी का स्थान लेंगे जो इस साल दिसंबर में सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
इन्फोसिस के एक अन्य प्रेसिडेंट एस रवि कुमार ने नवंबर 2022 में कॉग्निजेंट के सीईओ का पद संभाला था। इसका अर्थ यह हुआ कि कॉग्निजेंट और टेक महिंद्रा में नेतृत्व के पद पर नए लोग होंगे इन्फोसिस में भी शीर्ष पर बदलाव करीब है। अगर टीसीएस को भी शामिल कर लिया जाए तो चार बड़ी कंपनियों में नेतृत्व परिवर्तन हो रहा है और इन कंपनियों में 15 लाख कर्मचारी शामिल हैं और इनका राजस्व 70 अरब डॉलर से अधिक है।
इस क्षेत्र के प्रबंधन निर्देशों को देखें तो वित्त वर्ष 2024 आईटी सेवा उद्योग के लिए कठिनाई भरा वर्ष हो सकता है। वैश्विक मंदी के कारण पूर्वानुमान जताने में सावधानी बरती जा रही है क्योंकि मार्जिन और मांग दोनों कमजोर हैं। बहरहाल, वह अमेरिका और यूरोपीय बैंकिंग तंत्र में घटी घटनाओं से पहले की बात है जिनका बीएफएसआई अनुबंधों पर नकारात्मक असर होता। यानी अब वृद्धि अनुमानों में और कमी आ सकती है।
अधिकांश आईटी कंपनियों का मानना है कि उनके ग्राहक वित्त वर्ष 2024 में लागत पर ध्यान देंगे और लंबी अवधि के आईटी व्यय को तब तक टालना चाहेंगे जब तक कि वैश्विक आर्थिक हालात में सुधार नहीं हो जाता। विभिन्न कंपनियों की ओर से निराश करने वाले निर्देशन के कारण बीती दो तिमाहियों में नई भर्तियों में कटौती देखने को मिली।
उदाहरण के लिए टीसीएस के कर्मचारियों में गत तिमाही में कमी देखी गई। भारतीय कंपनियां मुद्रा की अस्थिरता से भी जूझ रही हैं। डॉलर के मुकाबले रुपया दबाव में रहा है। यूरो, पाउंड और येन के मुकाबले भी इसमें काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। निरंतर उच्च मुद्रास्फीति और वृद्धि की अनिश्चितताओं को देखते हुए मौद्रिक अस्थिरता के अगले वर्ष भी जारी रहने की उम्मीद है। इससे इस उद्योग की रणनीतिक योजना प्रभावित होगी।
सकारात्मक पहलू को देखें तो अधिकांश कंपनियां अब कर्मचारियों की छंटनी में पिछले तीन वर्षों की असाधारण तेजी की तुलना में धीमापन देख रही हैं। उनका मानना है कि कर्मचारियों से संबंधित लागत में भी कमी आएगी। सब कॉन्ट्रैक्टिंग यानी उप ठेके पर होने वाले व्यय में कमी आई है।
आपूर्ति क्षेत्र के इन अनुकूल कारकों की वजह से विभिन्न प्रबंधन इस बात को लेकर आशान्वित नजर आ रहे हैं कि परिचालन मार्जिन एकदम निचले स्तर पर पहुंचकर स्थिर हो गया है, भले ही निकट भविष्य में सुधार होता न दिख रहा हो।
टीसीएस एक अग्रणी कंपनी है और इसकी वजह केवल उसका आकार नहीं है। यह उद्योग जगत के हर क्षेत्र में फैली हुई है और हर आर्थिक ब्लॉक में उसकी पहुंच है। इसके आकार को देखते हुए यह बात उल्लेखनीय है कि उसने बेहतर मार्जिन भी बरकरार रखा है। कृतिवासन का प्रदर्शन और आंतरिक दर्जा उन्हें टीसीएस की शीर्ष स्थिति बरकरार रखने में मदद करेगा।