टाटा समूह के स्वामित्व वाली एयर इंडिया ने केंद्र को बताया है कि विमान पट्टेदार भारत के बाहर विशेष उद्देश्य वाली कंपनी (एसपीवी) बनाना चाहते हैं क्योंकि वे भारतीय कानूनी ढांचे से खुश नहीं हैं और किसी भी तरह का जोखिम उठाने को तैयार नहीं हैं। एयर इंडिया जल्द ही एक बड़ी संख्या में विमानों का ऑर्डर देगी।

भारतीय विमानन के पास लगभग 700 विमानों का संयुक्त बेड़ा है और उनमें 85 फीसदी से अधिक विमान पट्टे पर हैं। इसकी आकर्षक कर नीति, आसान नियमों और त्वरित कानूनी प्रणाली के कारण अधिकांश विमान आयरलैंड से पट्टे पर मिले हैं।
पट्टेदार भारतीय कानूनों को लेकर डरे हुए हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारतीय न्यायालय किसी भी विमान पर फिर से अधिकार के मामलों को निपटाने में एक सप्ताह से कुछ साल तक लगा देते हैं।
इसलिए, भारतीय कंपनियों और पट्टेदारों के बीच हस्ताक्षरित अनुबंध अन्य देशों के कानूनों, मुख्य रूप से अंग्रेजी कानून द्वारा शासित होते हैं, जहां कानूनी व्यवस्था तेज होती है।
हालांकि भारत ने केप टाउन कन्वेंशन ऐंड प्रोटोकॉल पर भी हस्ताक्षर किए हैं। यह विमान पट्टेदारों और फाइनेंसरों के लिए जोखिम को कम करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संधि है। लेकिन, इसे लागू करने के लिए अभी तक एक कानून पारित नहीं किया गया है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय, गिफ्ट सिटी और उद्योग निकाय फिक्की द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक बंद दरवाजे की वर्कशॉप में एयर इंडिया के एयरक्राफ्ट लीजिंग हेड श्रेयांस जैन ने ने 23 सितंबर को कहा था कि पट्टेदार आयरलैंड और सिंगापुर से ही अपने व्यापार का संचालन बड़ी आसानी से कर रहे हैं, और उन्हें भारत आने का कोई मतलब समझ में नहीं आता है।
वर्कशॉप का आयोजन गुजरात के गांधीनगर में गिफ्ट सिटी में स्वदेशी विमान पट्टे और वित्तपोषण पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए ‘आवश्यक कर और नियामक तत्वों’ को स्थापित करने के लिए किया गया था। एयरबस के मुताबिक, अगले 20 वर्ष में 250 अरब डॉलर के करीब 2,200 विमान भारत आ रहे हैं।
जैन ने कहा कि पट्टेदार भारतीय कानूनी ढांचे के बारे में खुश नहीं हैं। वे भारत के बाहर एसपीवी स्थापित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि पट्टेदार जोखिम लेने के लिए तैयार नहीं हैं।
वर्कशॉप में जैन और अन्य लोगों द्वारा दिए गए बयानों को डिस्कशन पॉइंट नामक एक आधिकारिक दस्तावेज में नोट किया गया था, जिसकी बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा समीक्षा की गई है।
अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) के महाप्रबंधक आशुतोष शर्मा ने वर्कशॉप में इस बात को स्वीकार किया कि गिफ्ट सिटी में नए अधिकार क्षेत्र, दस्तावेजी जोखिम और कानूनी जोखिम के बारे में चिंता पट्टेदारों को व्यवसाय करने से रोक रही है। आईएफएससीए गिफ्ट सिटी में मौजूद वित्तीय संस्थानों को नियंत्रित करता है। इस मामले में बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा भेजे गए सवालों का एयर इंडिया ने कोई जवाब नहीं दिया।
एयर इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक कैंपबेल विल्सन ने 19 नवंबर को कहा था कि विमान कंपनी ने 30 विमानों को पट्टे पर दिया है, जिसको अगले 12 महीनों के भीतर पहुंचा दिया जाएगा। कंपनी ने कहा कि वह बोइंग और एयरबस जैसे विमान निर्माताओं के साथ चर्चा कर रही है। कंपनी ने कहा कि वह इसके साथ-साथ नवीनतम पीढ़ी के विमानों लिए इंजन निर्माताओं से अब तक की सबसे बड़ी इंजन खरीद को लेकर बात कर रही है।
भारतीय विमानन आम तौर पर विमान निर्माताओं से सेल ऐंड लीजबैक मॉडल के तहत विमान खरीदते हैं। सेल ऐंड लीजबैक मॉडल के तहत विमानन अपने विमानों को पट्टे पर देने वाली कंपनी को बेचती है और फिर उन्हें वापस पट्टे पर देती है। यह उस नकदी को छुड़ाती है जिसे कंपनी ने विमान खरीदने पर खर्च किया है।